Tuesday, April 5, 2011

‘एक विचार ले लो। उसी एक विचार के अनुसार अपने जीवन को बनाओ; उसी को सोचो, उसी का स्वप्न देखों उसी पर अवलम्बित रहो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, स्नायुओं और शरीर के प्रत्येक भाग को उसी विचार से ओत-प्रोत होने दो और दूसरे सब विचारों को अपने से दूर रखो। यही सफलता का मार्ग है और यही वह मार्ग हैं, जिसने महान धार्मिक पुरुषों का निर्माण किया हैं।’’
स्वामी विवेकानंद

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