Tuesday, April 5, 2011

अनमोल वचन -1

१. जिसने ज्न्यान को आचरण में उतार लिया, उसने ईश्वर को मूर्तिमान कर लिया – विनोबा
२. अकर्मंयता का दूसरा नाम मर्त्यु है – मुसोलिनी
३. पालने से लेकर कब्र तक ज्न्यान प्राप्त करते रहो – पवित्र कुरआन
४. इच्छा ही सब दू:खो का मूल है – बुद्ध
५. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्न्यान है – चाणक्य
६. आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है – पालशिरू
७. क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है – महात्मा गांधी
८. ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाटा है – महात्मा गांधी
९. अप्रिय शब्द पशुओ को भी नहीं सुहाते है – बुद्ध
१०. नरम शब्दों से सख्त दिलो को जीता जा सकता है – सुकरात
११. गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है – शेक्सपीयर
१२. समय और समुद्र की लहरे किसी का इंतज़ार नहीं करती – अज्न्यात
१३. जिस तरह जौहरी ही असली हीरे की पहचान कर सकता है, उसी तरह गुनी ही गुणवान की पहचान कर सकता है – कबीर
१४. जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है – कन्फ्यूशियास
१५. ज्न्यानी पुरुषो का क्रोध भीतर ही, शान्ति से निवास करता है, बाहर नहीं – खलील जिब्रान
१६. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है – चाणक्य
१७. डूब की तरह छोटे बनाकर रहो. जब घास-पात जल जाते है तब भी डूब जस की तस बनी रहती है – गुरु नानक देव
१८. ईश्वर के हाथ देने के लिए खुले है. लेने के लिए तुम्हे प्रयत्न करना होगा – गुरु नानक देव
१९. जो दूसरो से घरना करता है वह स्वय पतित होता है – विवेकानंद
२०. जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढाकर है.

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