Tuesday, April 5, 2011

अनमोल वचन -2

२१. भरे बादल और फले वर्कश नीचे ज़ुकारे है, सज्जन ज्न्यान और धन पाकर विनम्र बनाते है.
२२. सोचना, कहना व करना सदा सामान हो.
२३. न कल की न काल की फिकर करो, सदा हर्षित मुख रहो.
२४. स्व परिवर्तन से दूसरो का परिवर्तन करो.
२५. ते ते पाँव पसारियो जेती चादर होय.
२६. महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.
२७. बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्न्यान अँधा है.
२८. क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारम्भ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.
२९. नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.
३०. धरती पर है स्वर्ग कहा – छोटा है परिवार जहा.
३१. दूसरो का जो आचरण तुम्हे पसंद नहीं, वैसा आचरण दूसरो के प्रति न करो.
३२. नम्रता सारे गुणों का दरध स्तम्भ है.
३३. बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते है.
३४. हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.
३५. पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.
३६. सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.
३७. आराम हराम है.
३८. दो बच्चो से खिलाता उपवन, हंसते-हंसते कटता जीवन.
३९. अगर चाहते सुख समर्द्धि, रोको जनसंख्या वर्द्धि.
४०. कार्य मनोरथ से नहीं, उद्यम से सिद्ध होते है. जैसे सोते हुए सिंह के मुंह में मार्ग अपने आप नहीं चले जाते – विष्णु शर्मा

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