४१. जो जैसा शुभ व अशुभ कार्य करता है, वो वैसा ही फल भोगता है – वेदव्यास
४२. मनुष्य की इच्छाओ का पेट आज तक कोइ नहीं भर सका है – वेदव्यास
४३. नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते है – तिरूवल्लुवर
४४. खुदा एक दरवाजा बंद करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो – शेख सादी
४५. बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बंद करना ही अच्छा है – शेख सादी
४६. अपमानपूर्वक अमरत पीने से तो अच्छा है सम्मानपूर्वक विषपान – रहीम
४७. थोड़े से धन से दुष्ट जन उन्मत्त हो जाते है – जैसे छोटी, बरसाती नदी में थोड़ी सी वर्षा से बाढ़ आ जाती है – गोस्वामी तुलसीदास
४८. ईश प्राप्ति (शान्ति) के लिए अंत:कारन शुद्ध होना चाहिए – रविदास
४९. जब मई स्वय पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोज़ हल्का हो जाता है – टैगोर
५०. जन्म के बाद मर्त्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय निश्चित है. ज्न्यानी इन बातो का ज्न्यान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते – महाभारत
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